Khawab Poetry of Fana Bulandshahri
नाम | फ़ना बुलंदशहरी |
---|---|
अंग्रेज़ी नाम | Fana Bulandshahri |
तेरे दर से न उठा हूँ न उठूँगा ऐ दोस्त
न दहर में न हरम में जबीं झुकी होगी
जो मिटा है तेरे जमाल पर वो हर एक ग़म से गुज़र गया
जब तक मिरे होंटों पे तिरा नाम रहेगा
दुनिया के हर ख़याल से बेगाना कर दिया
अँधेरे लाख छा जाएँ उजाला कम नहीं होता
अब तसव्वुर में हरम है न सनम-ख़ाना है
आँखों में नमी आई चेहरे पे मलाल आया