फख्र ज़मान कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का फख्र ज़मान
नाम | फख्र ज़मान |
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अंग्रेज़ी नाम | Fakhr Zaman |
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मज़दूर औरतें
असली रूप
ऐ हम-सफ़रो क्यूँ न यहीं शहर बसा लें
आईना
वो पहले अंधे कुएँ में गिराए जाते हैं
मुश्किल से चमन में हमें एक बार मिला फूल
लम्हों का भँवर चीर के इंसान बना हूँ
कुछ बात नहीं जिस्म अगर मेरा जला है
जो धूप की तपती हुई साँसों से बची सोच
जाएँगे कहाँ सर पे जब आ जाएगा सूरज
बहादुरी जो नहीं है तो बुज़दिली भी नहीं
ऐ हम-सफ़रो क्यूँ न नया शहर बसा लें