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बिल्कुल तुम सा और तुम्हारा लगता हूँ - फख़्र अब्बास कविता - Darsaal

बिल्कुल तुम सा और तुम्हारा लगता हूँ

बिल्कुल तुम सा और तुम्हारा लगता हूँ

कभी कभी मैं ख़ुद को प्यारा लगता हूँ

एक नज़र उस हूर ने मुझ को देखा था

ख़ुद को मैं अब एक सितारा लगता हूँ

जितना आप जताती हैं हर मैसेज में

क्या मैं आप को इतना प्यारा लगता हूँ

शायद मेरी जीत इसी में होती है

इस के आगे हारा हारा लगता हूँ

मेरा शे'र चुरा कर तुम ने शे'र कहा

रिश्ते में अब बाप तुम्हारा लगता हूँ

हाथ पकड़ कर साथ खड़ी हो जाती है

लोगों में जब मैं बेचारा लगता

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