इन्नोसेंस

मिरे बच्चे ने जब मुझ से कहा मम्मा

ज़रा जुगनू मुझे ला दो

मुझे तितली के रंगों को भी छूना है

सितारे आसमाँ पर ही उगे हैं क्यूँ

ज़मीं पर क्यूँ नहीं आते

मुझे बस चाँद ला दो उस से खेलूँगा

मैं चौंक उट्ठी

यही कुछ मैं ने अपनी माँ से पूछा था

मिरा मा'सूम सा बचपन

जो मुट्ठी से फिसल कर खो गया शायद

मिरा बच्चा जो मेरा आज है

और आने वाला इक हसीं कल है

लहू में उस की बातों से ही हलचल है

ये मेरा क़ीमती पल है

मिरा बच्चा हसीं ता'बीर बन कर सामने है और

माज़ी ख़्वाब लगता है

तो क्या मैं ख़्वाब से आगे निकल आई

(2047) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Innocence In Hindi By Famous Poet Fakhira Batool. Innocence is written by Fakhira Batool. Complete Poem Innocence in Hindi by Fakhira Batool. Download free Innocence Poem for Youth in PDF. Innocence is a Poem on Inspiration for young students. Share Innocence with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.