वो जितने दूर हैं उतने ही मेरे पास भी हैं

वो जितने दूर हैं उतने ही मेरे पास भी हैं

ये और बात है ख़ुश हैं मगर उदास भी हैं

ये देखना है हमें किस का ज़ौक़ कैसा है

यहाँ शराब भी है ज़हर के गिलास भी हैं

उन्ही पे तोहमत-ए-दीवानगी लगाते हो

जो इत्तिफ़ाक़ से महफ़िल में रू-शनास भी हैं

जो रौशनी के लिबादे को ओढ़ कर आए

शब-ए-सियाह के वो मातमी लिबास भी हैं

तुम अपने शहर में अम्न-ओ-अमाँ की बात करो

जहाँ सुकूँ है वहाँ लोग बद-हवास भी हैं

ग़ज़ल के साज़ हैं फ़ैज़-उल-हसन-'ख़याल' जहाँ

वहाँ पे आह ब-लब भी हैं महव-ए-यास भी हैं

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Wo Jitne Dur Hain Utne Hi Mere Pas Bhi Hain In Hindi By Famous Poet Faiz Ul Hasan. Wo Jitne Dur Hain Utne Hi Mere Pas Bhi Hain is written by Faiz Ul Hasan. Complete Poem Wo Jitne Dur Hain Utne Hi Mere Pas Bhi Hain in Hindi by Faiz Ul Hasan. Download free Wo Jitne Dur Hain Utne Hi Mere Pas Bhi Hain Poem for Youth in PDF. Wo Jitne Dur Hain Utne Hi Mere Pas Bhi Hain is a Poem on Inspiration for young students. Share Wo Jitne Dur Hain Utne Hi Mere Pas Bhi Hain with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.