Ghazals of Faiz Ul Hasan
नाम | फ़ैज़ुल हसन |
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अंग्रेज़ी नाम | Faiz Ul Hasan |
वो जितने दूर हैं उतने ही मेरे पास भी हैं
सुब्ह-ए-नौ लाती है हर शाम तुम्हें क्या मा'लूम
लोग कहते हैं कि क़ातिल को मसीहा कहिए
काँच के शहर में पत्थर न उठाओ यारो
जब तक मिज़ाज-ए-दोस्त में कुछ बरहमी रही
जाने क्या सोच के उस ने सितम ईजाद किया
हम ने सहरा को सजाया था गुलिस्ताँ की तरह
एक मुद्दत से सर-ए-बाम वो आया भी नहीं
दिल जिस का दर्द-ए-इश्क़ का हामिल नहीं रहा
ऐ दिल अच्छा नहीं मसरूफ़-ए-फ़ुग़ाँ हो जाना