Sad Poetry of Faiz Ahmad Faiz
नाम | फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ |
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अंग्रेज़ी नाम | Faiz Ahmad Faiz |
जन्म की तारीख | 1911 |
मौत की तिथि | 1984 |
जन्म स्थान | Lahore |
ज़िंदगी क्या किसी मुफ़लिस की क़बा है जिस में
ये दाग़ दाग़ उजाला ये शब-गज़ीदा सहर
वो बुतों ने डाले हैं वसवसे कि दिलों से ख़ौफ़-ए-ख़ुदा गया
तुम्हारी याद के जब ज़ख़्म भरने लगते हैं
तेज़ है आज दर्द-ए-दिल साक़ी
सजाओ बज़्म ग़ज़ल गाओ जाम ताज़ा करो
मिन्नत-ए-चारा-साज़ कौन करे
मेरी ख़ामोशियों में लर्ज़ां है
मिरी जान आज का ग़म न कर कि न जाने कातिब-ए-वक़्त ने
कर रहा था ग़म-ए-जहाँ का हिसाब
कब ठहरेगा दर्द ऐ दिल कब रात बसर होगी
जब तुझे याद कर लिया सुब्ह महक महक उठी
जानता है कि वो न आएँगे
हम अहल-ए-क़फ़स तन्हा भी नहीं हर रोज़ नसीम-ए-सुब्ह-ए-वतन
ग़म-ए-जहाँ हो रुख़-ए-यार हो कि दस्त-ए-अदू
दुनिया ने तेरी याद से बेगाना कर दिया
दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार के
दिल ना-उमीद तो नहीं नाकाम ही तो है
चमन पे ग़ारत-ए-गुल-चीं से जाने क्या गुज़री
बे-दम हुए बीमार दवा क्यूँ नहीं देते
ऐ ज़ुल्म के मातो लब खोलो चुप रहने वालो चुप कब तक
''आप की याद आती रही रात भर''
आए कुछ अब्र कुछ शराब आए
ज़िंदाँ की एक सुब्ह
ज़िंदाँ की एक शाम
ज़िंदगी
ये मातम-ए-वक़्त की घड़ी है
ये फ़स्ल उमीदों की हमदम
यास
यहाँ से शहर को देखो