Qitas of Faiz Ahmad Faiz
नाम | फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ |
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अंग्रेज़ी नाम | Faiz Ahmad Faiz |
जन्म की तारीख | 1911 |
मौत की तिथि | 1984 |
जन्म स्थान | Lahore |
ज़िंदाँ ज़िंदाँ शोर-ए-अनल-हक़ महफ़िल महफ़िल क़ुल-क़ुल-ए-मय
ज़ब्त का अहद भी है शौक़ का पैमान भी है
ये ख़ूँ की महक है कि लब-ए-यार की ख़ुशबू
वक़्फ़-ए-हिरमान-ओ-यास रहता है
उन दिनों रस्म-ओ-रह-ए-शहर-ए-निगाराँ क्या है
तुम्हारे हुस्न से रहती है हम-कनार नज़र
तिरा जमाल निगाहों में ले के उट्ठा हूँ
तमाम शब दिल-ए-वहशी तलाश करता है
सुब्ह फूटी तो आसमाँ पे तिरे
सबा के हाथ में नर्मी है उन के हाथों की
रफ़ीक़-ए-राह थी मंज़िल हर इक तलाश के ब'अद
रात यूँ दिल में तिरी खोई हुई याद आई
रात ढलने लगी है सीनों में
फिर हश्र के सामाँ हुए ऐवान-ए-हवस में
न पूछ जब से तिरा इंतिज़ार कितना है
न दीद है न सुख़न अब न हर्फ़ है न पयाम
न आज लुत्फ़ कर इतना कि कल गुज़र न सके
मता-ए-लौह-ओ-क़लम छिन गई तो क्या ग़म है
मक़्तल में न मस्जिद न ख़राबात में कोई
मय-ख़ानों की रौनक़ हैं कभी ख़ानक़हों की
खिले जो एक दरीचे में आज हुस्न के फूल
जो पैरहन में कोई तार मोहतसिब से बचा
जाँ बेचने को आए तो बे-दाम बेच दी
हम खस्ता-तनों से मुहतसिबो क्या माल-मनाल का पूछते हो
हज़ार दर्द शब-ए-आरज़ू की राह में है
हमारे दम से है कू-ए-जुनूँ में अब भी ख़जिल
फ़िक्र-ए-सूद-ओ-ज़ियाँ तो छूटेगी
फ़ज़ा-ए-दिल पे उदासी बिखरती जाती है
दीवार-ए-शब और अक्स-ए-रुख़-ए-यार सामने
दिल रहीन-ए-ग़म-ए-जहाँ है आज