करो कज जबीं पे सर-ए-कफ़न मिरे क़ातिलों को गुमाँ न हो
करो कज जबीं पे सर-ए-कफ़न मिरे क़ातिलों को गुमाँ न हो
कि ग़ुरूर-ए-इश्क़ का बाँकपन पस-ए-मर्ग हम ने भुला दिया
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करो कज जबीं पे सर-ए-कफ़न मिरे क़ातिलों को गुमाँ न हो
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