सुरुद-ए-शबाना
ग़म है इक कैफ़ में फ़ज़ाए-हयात
ख़ामुशी सज्दा-ए-नियाज़ में है
हुस्न-ए-मासूम ख़्वाब-ए-नाज़ में है
ऐ कि तू रंग-ओ-बू का तूफ़ाँ है
ऐ कि तू जल्वा-गर बहार में है
ज़िंदगी तेरे इख़्तियार में है
फूल लाखों बरस नहीं रहते
दो घड़ी और है बहार-ए-शबाब
आ कि कुछ दिल की सुन सुना लें हम
आ मोहब्बत के गीत गा लें हम
मेरी तन्हाइयों पे शाम रहे?
हसरत-ए-दीद ना-तमाम रहे?
दिल में बेताब है सदा-ए-हयात
आँख गौहर निसार करती है
आसमाँ पर उदास हैं तारे
चाँदनी इंतिज़ार करती है
आ कि थोड़ा सा प्यार कर लें हम
ज़िंदगी ज़र-निगार कर लें हम
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