सोच
क्यूँ मेरा दिल शाद नहीं है
क्यूँ ख़ामोश रहा करता हूँ
छोड़ो मेरी राम-कहानी
मैं जैसा भी हूँ अच्छा हूँ
मेरा दिल ग़म-गीं है तो क्या
ग़म-गीं ये दुनिया है सारी
ये दुख तेरा है न मेरा
हम सब की जागीर है पियारी
तू गर मेरी भी हो जाए
दुनिया के ग़म यूँही रहेंगे
पाप के फंदे ज़ुल्म के बंधन
अपने कहे से कट न सकेंगे
ग़म हर हालत में मोहलिक है
अपना हो या और किसी का
रोना-धोना जी को जलाना
यूँ भी हमारा यूँ भी हमारा
क्यूँ न जहाँ का ग़म अपना लें
ब'अद में सब तदबीरें सोचें
ब'अद में सुख के सपने देखें
सपनों की ताबीरें सोचें
बे-फ़िकरे धन-दौलत वाले
ये आख़िर क्यूँ ख़ुश रहते हैं
इन का सुख आपस में बाँटें
ये भी आख़िर हम जैसे हैं
हम ने माना जंग कड़ी है
सर फूटेंगे ख़ून बहेगा
ख़ून में ग़म भी बह जाएँगे
हम न रहें ग़म भी न रहेगा
(3039) Peoples Rate This