Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_3aade8868b7789537aa44b93f7f7a332, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
कोई आशिक़ किसी महबूबा से! - फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ कविता - Darsaal

कोई आशिक़ किसी महबूबा से!

गुलशन-ए-याद में गर आज दम-ए-बाद-ए-सबा

फिर से चाहे कि गुल-अफ़शाँ हो तो हो जाने दो

उम्र-ए-रफ़्ता के किसी ताक़ पे बिसरा हुआ दर्द

फिर से चाहे कि फ़रोज़ाँ हो तो हो जाने दो

जैसे बेगाने से अब मिलते हो वैसे ही सही

आओ दो चार घड़ी मेरे मुक़ाबिल बैठो

गरचे मिल-बैठेंगे हम तुम तो मुलाक़ात के ब'अद

अपना एहसास-ए-ज़ियाँ और ज़ियादा होगा

हम-सुख़न होंगे जो हम दोनों तो हर बात के बीच

अन-कही बात का मौहूम सा पर्दा होगा

कोई इक़रार न मैं याद दिलाऊँगा तुम्हें

कोई मज़मून वफ़ा का न जफ़ा का होगा

गर्द-ए-अय्याम की तहरीर को धोने के लिए

तुम से गोया हों दम-ए-दीद जो मेरी पलकें

तुम जो चाहो तो सुनो और जो न चाहो न सुनो

और जो हर्फ़ करें मुझ से गुरेज़ाँ आँखें

तुम जो चाहो तो कहो और जो न चाहो न कहो

(5232) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Koi Aashiq Kisi Mahbuba Se! In Hindi By Famous Poet Faiz Ahmad Faiz. Koi Aashiq Kisi Mahbuba Se! is written by Faiz Ahmad Faiz. Complete Poem Koi Aashiq Kisi Mahbuba Se! in Hindi by Faiz Ahmad Faiz. Download free Koi Aashiq Kisi Mahbuba Se! Poem for Youth in PDF. Koi Aashiq Kisi Mahbuba Se! is a Poem on Inspiration for young students. Share Koi Aashiq Kisi Mahbuba Se! with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.