Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_494071ed2369a47669f3dee6a095329f, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
कहाँ जाओगे - फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ कविता - Darsaal

कहाँ जाओगे

और कुछ देर में लुट जाएगा हर बाम पे चाँद

अक्स खो जाएँगे आईने तरस जाएँगे

अर्श के दीदा-ए-नमनाक से बारी-बारी

सब सितारे सर-ए-ख़ाशाक बरस जाएँगे

आस के मारे थके हारे शबिस्तानों में

अपनी तन्हाई समेटेगा, बिछाएगा कोई

बेवफ़ाई की घड़ी, तर्क-ए-मदारात का वक़्त

इस घड़ी अपने सिवा याद न आएगा कोई

तर्क-ए-दुनिया का समाँ ख़त्म-ए-मुलाक़ात का वक़्त

इस घड़ी ऐ दिल-ए-आवारा कहाँ जाओगे

इस घड़ी कोई कसी का भी नहीं रहने दो

कोई इस वक़्त मिले गा ही नहीं रहने दो

और मिले गा भी इस तौर कि पछताओगे

इस घड़ी ऐ दिल-ए-आवारा कहाँ जाओगे

और कुछ देर ठहर जाओ कि फिर नश्तर-ए-सुब्ह

ज़ख़्म की तरह हर इक आँख को बेदार करे

और हर कुश्ता-ए-वामाँदगी-ए-आख़िर-ए-शब

भूल कर साअत-ए-दरमांदगी-ए-आख़िर-ए-शब दरमांदगी आख़िर शब

जान पहचान मुलाक़ात पे इसरार करे

(5663) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Kahan Jaoge In Hindi By Famous Poet Faiz Ahmad Faiz. Kahan Jaoge is written by Faiz Ahmad Faiz. Complete Poem Kahan Jaoge in Hindi by Faiz Ahmad Faiz. Download free Kahan Jaoge Poem for Youth in PDF. Kahan Jaoge is a Poem on Inspiration for young students. Share Kahan Jaoge with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.