Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_b0dc1319b53a5a8a8db91268c3436664, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
जरस-ए-गुल की सदा - फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ कविता - Darsaal

जरस-ए-गुल की सदा

इस हवस में कि पुकारे जरस-ए-गुल की सदा

दश्त-ओ-सहरा में सबा फिरती है यूँ आवारा

जिस तरह फिरते हैं हम अहल-ए-जुनूँ आवारा

हम पे वारफ़्तगी-ए-होश की तोहमत न धरो

हम कि रुम्माज़-ए-रुमूज़-ए-ग़म-ए-पिन्हानी हैं

अपनी गर्दन पे भी है रिश्ता-फ़गन ख़ातिर-ए-दोस्त

हम भी शौक़-ए-रह-ए-दिलदार के ज़िंदानी हैं

जब भी अबरू-ए-दर-ए-यार ने इरशाद किया

जिस बयाबाँ में भी हम होंगे चले आएँगे

दर खुला देखा तो शायद तुम्हें फिर देख सकें

बंद होगा तो सदा दे के चले जाएँगे

(2337) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Jaras-e-gul Ki Sada In Hindi By Famous Poet Faiz Ahmad Faiz. Jaras-e-gul Ki Sada is written by Faiz Ahmad Faiz. Complete Poem Jaras-e-gul Ki Sada in Hindi by Faiz Ahmad Faiz. Download free Jaras-e-gul Ki Sada Poem for Youth in PDF. Jaras-e-gul Ki Sada is a Poem on Inspiration for young students. Share Jaras-e-gul Ki Sada with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.