Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_14af16a2a3e682744e8037f57f5bfd90, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
इश्क़ अपने मुजरिमों को पा-ब-जौलाँ ले चला - फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ कविता - Darsaal

इश्क़ अपने मुजरिमों को पा-ब-जौलाँ ले चला

दार की रस्सियों के गुलू-बंद गर्दन में पहने हुए

गाने वाले हर इक रोज़ गाते रहे

पायलें बेड़ियों की बजाते हुए

नाचने वाले धूमें मचाते रहे

हम न इस सफ़ में थे और न उस सफ़ में थे

रास्ते में खड़े उन को तकते रहे

रश्क करते रहे

और चुप चाप आँसू बहाते रहे

लौट कर आ के देखा तो फूलों का रंग

जो कभी सुर्ख़ था ज़र्द ही ज़र्द है

अपना पहलू टटोला तो ऐसा लगा

दिल जहाँ था वहाँ दर्द ही दर्द है

गुलू में कभी तौक़ का वाहिमा

कभी पाँव में रक़्स-ए-ज़ंजीर

और फिर एक दिन इश्क़ उन्हीं की तरह

रसन-दर-गुलू पा-ब-जौलाँ हमें

उसी क़ाफ़िले में कशाँ ले चला

(2108) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Ishq Apne Mujrmon Ko Pa-ba-jaulan Le Chala In Hindi By Famous Poet Faiz Ahmad Faiz. Ishq Apne Mujrmon Ko Pa-ba-jaulan Le Chala is written by Faiz Ahmad Faiz. Complete Poem Ishq Apne Mujrmon Ko Pa-ba-jaulan Le Chala in Hindi by Faiz Ahmad Faiz. Download free Ishq Apne Mujrmon Ko Pa-ba-jaulan Le Chala Poem for Youth in PDF. Ishq Apne Mujrmon Ko Pa-ba-jaulan Le Chala is a Poem on Inspiration for young students. Share Ishq Apne Mujrmon Ko Pa-ba-jaulan Le Chala with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.