एक मंज़र
बाम-ओ-दर ख़ामुशी के बोझ से चूर
आसमानों से जू-ए-दर्द रवाँ
चाँद का दुख-भरा फ़साना-ए-नूर
शाह-राहों की ख़ाक में ग़लताँ
ख़्वाब-गाहों में नीम तारीकी
मुज़्महिल लय रुबाब-ए-हस्ती की
हल्के हल्के सुरों में नौहा-कुनाँ
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बाम-ओ-दर ख़ामुशी के बोझ से चूर
आसमानों से जू-ए-दर्द रवाँ
चाँद का दुख-भरा फ़साना-ए-नूर
शाह-राहों की ख़ाक में ग़लताँ
ख़्वाब-गाहों में नीम तारीकी
मुज़्महिल लय रुबाब-ए-हस्ती की
हल्के हल्के सुरों में नौहा-कुनाँ
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