दाग़िस्तानी ख़ातून और शाएर बेटा
उस ने जब बोलना न सीखा था
उस की हर बात मैं समझती थी
अब वो शाएर बना है नाम-ए-ख़ुदा
लेकिन अफ़सोस कोई बात उस की
मेरे पल्ले ज़रा नहीं पड़ती
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उस ने जब बोलना न सीखा था
उस की हर बात मैं समझती थी
अब वो शाएर बना है नाम-ए-ख़ुदा
लेकिन अफ़सोस कोई बात उस की
मेरे पल्ले ज़रा नहीं पड़ती
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