ऐ दिल-ए-बेताब ठहर

तीरगी है कि उमंडती ही चली आती है

शब की रग रग से लहू फूट रहा हो जैसे

चल रही है कुछ इस अंदाज़ से नब्ज़-ए-हस्ती

दोनों आलम का नशा टूट रहा हो जैसे

रात का गर्म लहू और भी बह जाने दो

यही तारीकी तो है ग़ाज़ा-ए-रुख़सार-ए-सहर

सुब्ह होने ही को है ऐ दिल-ए-बेताब ठहर

अभी ज़ंजीर छनकती है पस-ए-पर्दा-ए-साज़

मुतलक़-उल-हुक्म है शीराज़ा-ए-अस्बाब अभी

साग़र-ए-नाब में आँसू भी ढलक जाते हैं

लग़्ज़िश-ए-पा में है पाबंदी-ए-आदाब अभी

अपने दीवानों को दीवाना तो बन लेने दो

अपने मय-ख़ानों को मय-ख़ाना तो बन लेने दो

जल्द ये सतवत-ए-अस्बाब भी उठ जाएगी

ये गिराँ-बारी-ए-आदाब भी उठ जाएगी

ख़्वाह ज़ंजीर छनकती ही छनकती ही रहे

(2804) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Ai Dil-e-betab Thahar In Hindi By Famous Poet Faiz Ahmad Faiz. Ai Dil-e-betab Thahar is written by Faiz Ahmad Faiz. Complete Poem Ai Dil-e-betab Thahar in Hindi by Faiz Ahmad Faiz. Download free Ai Dil-e-betab Thahar Poem for Youth in PDF. Ai Dil-e-betab Thahar is a Poem on Inspiration for young students. Share Ai Dil-e-betab Thahar with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.