Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_787fd059c88145b4090a13385634ac80, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
आख़िरी ख़त - फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ कविता - Darsaal

आख़िरी ख़त

वो वक़्त मिरी जान बहुत दूर नहीं है

जब दर्द से रुक जाएँगी सब ज़ीस्त की राहें

और हद से गुज़र जाएगा अंदोह-ए-निहानी

थक जाएँगी तरसी हुई नाकाम निगाहें

छिन जाएँगे मुझ से मिरे आँसू मिरी आहें

छिन जाएगी मुझ से मिरी बे-कार जवानी

शायद मिरी उल्फ़त को बहुत याद करोगी

अपने दिल-ए-मासूम को नाशाद करोगी

आओगी मिरी गोर पे तुम अश्क बहाने

नौ-ख़ेज़ बहारों के हसीं फूल चढ़ाने

शायद मिरी तुर्बत को भी ठुकरा के चलोगी

शायद मिरी बे-सूद वफ़ाओं पे हँसोगी

इस वज़्-ए-करम का भी तुम्हें पास न होगा

लेकिन दिल-ए-नाकाम को एहसास न होगा

अल-क़िस्सा मआल-ए-ग़म-ए-उल्फ़त पे हँसो तुम

या अश्क बहाती रहो फ़रियाद करो तुम

माज़ी पे नदामत हो तुम्हें या कि मसर्रत

ख़ामोश पड़ा सोएगा वामांदा-ए-उल्फ़त

(2350) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

AaKHiri KHat In Hindi By Famous Poet Faiz Ahmad Faiz. AaKHiri KHat is written by Faiz Ahmad Faiz. Complete Poem AaKHiri KHat in Hindi by Faiz Ahmad Faiz. Download free AaKHiri KHat Poem for Youth in PDF. AaKHiri KHat is a Poem on Inspiration for young students. Share AaKHiri KHat with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.