Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_857bfac94d71abc52aef0216fc8a99b9, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
वहीं हैं दिल के क़राइन तमाम कहते हैं - फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ कविता - Darsaal

वहीं हैं दिल के क़राइन तमाम कहते हैं

वहीं हैं दिल के क़राइन तमाम कहते हैं

वो इक ख़लिश कि जिसे तेरा नाम कहते हैं

तुम आ रहे हो कि बजती हैं मेरी ज़ंजीरें

न जाने क्या मिरे दीवार-ओ-बाम कहते हैं

यही कनार-ए-फ़लक का सियह-तरीं गोशा

यही है मतला-ए-माह-ए-तमाम कहते हैं

पियो कि मुफ़्त लगा दी है ख़ून-ए-दिल की कशीद

गिराँ है अब के मय-ए-लाला-फ़ाम कहते हैं

फ़क़ीह-ए-शहर से मय का जवाज़ क्या पूछें

कि चाँदनी को भी हज़रत हराम कहते हैं

नवा-ए-मुर्ग़ को कहते हैं अब ज़ियान-ए-चमन

खिले न फूल इसे इंतिज़ाम कहते हैं

कहो तो हम भी चलें 'फ़ैज़' अब नहीं सर-ए-दार

वो फ़र्क़-ए-मर्तबा-ए-ख़ास-ओ-आम कहते हैं

(2539) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Wahin Hain Dil Ke Qarain Tamam Kahte Hain In Hindi By Famous Poet Faiz Ahmad Faiz. Wahin Hain Dil Ke Qarain Tamam Kahte Hain is written by Faiz Ahmad Faiz. Complete Poem Wahin Hain Dil Ke Qarain Tamam Kahte Hain in Hindi by Faiz Ahmad Faiz. Download free Wahin Hain Dil Ke Qarain Tamam Kahte Hain Poem for Youth in PDF. Wahin Hain Dil Ke Qarain Tamam Kahte Hain is a Poem on Inspiration for young students. Share Wahin Hain Dil Ke Qarain Tamam Kahte Hain with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.