Ghazals of Faiz Ahmad Faiz (page 3)
नाम | फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ |
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अंग्रेज़ी नाम | Faiz Ahmad Faiz |
जन्म की तारीख | 1911 |
मौत की तिथि | 1984 |
जन्म स्थान | Lahore |
हम ने सब शेर में सँवारे थे
हम सादा ही ऐसे थे की यूँ ही पज़ीराई
हम पर तुम्हारी चाह का इल्ज़ाम ही तो है
हम मुसाफ़िर यूँही मसरूफ़-ए-सफ़र जाएँगे
हिम्मत-ए-इल्तिजा नहीं बाक़ी
हसरत-ए-दीद में गुज़राँ हैं ज़माने कब से
हर सम्त परेशाँ तिरी आमद के क़रीने
हर हक़ीक़त मजाज़ हो जाए
हमीं से अपनी नवा हम-कलाम होती रही
हैराँ है जबीं आज किधर सज्दा रवा है
गुलों में रंग भरे बाद-ए-नौ-बहार चले
गो सब को बहम साग़र ओ बादा तो नहीं था
गिरानी-ए-शब-ए-हिज्राँ दो-चंद क्या करते
ग़म-ब-दिल शुक्र-ब-लब मस्त ओ ग़ज़ल-ख़्वाँ चलिए
गर्मी-ए-शौक़-ए-नज़ारा का असर तो देखो
फ़िक्र-ए-दिलदारी-ए-गुलज़ार करूँ या न करूँ
दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार के
दिल में अब यूँ तिरे भूले हुए ग़म आते हैं
दरबार में अब सतवत-ए-शाही की अलामत
चश्म-ए-मयगूँ ज़रा इधर कर दे
चाँद निकले किसी जानिब तिरी ज़ेबाई का
बे-दम हुए बीमार दवा क्यूँ नहीं देते
बात बस से निकल चली है
अब वही हर्फ़-ए-जुनूँ सब की ज़बाँ ठहरी है
अब के बरस दस्तूर-ए-सितम में क्या क्या बाब ईज़ाद हुए
अब जो कोई पूछे भी तो उस से क्या शरह-ए-हालात करें
''आप की याद आती रही रात भर''
आज यूँ मौज-दर-मौज ग़म थम गया इस तरह ग़म-ज़दों को क़रार आ गया
आए कुछ अब्र कुछ शराब आए