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फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ Ghazal In Hindi - Best फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ Ghazal Shayari & Poems - Page 1 - Darsaal

Ghazals of Faiz Ahmad Faiz (page 1)

Ghazals of Faiz Ahmad Faiz (page 1)
नामफ़ैज़ अहमद फ़ैज़
अंग्रेज़ी नामFaiz Ahmad Faiz
जन्म की तारीख1911
मौत की तिथि1984
जन्म स्थानLahore

यूँ सजा चाँद कि झलका तिरे अंदाज़ का रंग

यूँ बहार आई है इस बार कि जैसे क़ासिद

ये मौसम-ए-गुल गरचे तरब-ख़ेज़ बहुत है

ये किस ख़लिश ने फिर इस दिल में आशियाना किया

ये जफ़ा-ए-ग़म का चारा वो नजात-ए-दिल का आलम

यक-ब-यक शोरिश-ए-फ़ुग़ाँ की तरह

याद-ए-ग़ज़ाल-चश्माँ ज़िक्र-ए-समन-अज़ाराँ

याद का फिर कोई दरवाज़ा खुला आख़िर-ए-शब

वो बुतों ने डाले हैं वसवसे कि दिलों से ख़ौफ़-ए-ख़ुदा गया

वो अहद-ए-ग़म की काहिश-हा-ए-बे-हासिल को क्या समझे

वहीं हैं दिल के क़राइन तमाम कहते हैं

वफ़ा-ए-वादा नहीं वादा-ए-दिगर भी नहीं

तुम्हारी याद के जब ज़ख़्म भरने लगते हैं

तुम आए हो न शब-ए-इंतिज़ार गुज़री है

तुझे पुकारा है बे-इरादा

तिरी उमीद तिरा इंतिज़ार जब से है

तेरी सूरत जो दिल-नशीं की है

तिरे ग़म को जाँ की तलाश थी तिरे जाँ-निसार चले गए

सुब्ह की आज जो रंगत है वो पहले तो न थी

सितम सिखलाएगा रस्म-ए-वफ़ा ऐसे नहीं होता

सितम की रस्में बहुत थीं लेकिन न थी तिरी अंजुमन से पहले

शरह-ए-फ़िराक़ मदह-ए-लब-ए-मुश्कबू करें

शरह-ए-बेदर्दी-ए-हालात न होने पाई

शाम-ए-फ़िराक़ अब न पूछ आई और आ के टल गई

शाख़ पर ख़ून-ए-गुल रवाँ है वही

शैख़ साहब से रस्म-ओ-राह न की

शफ़क़ की राख में जल बुझ गया सितारा-ए-शाम

सहल यूँ राह-ए-ज़िंदगी की है

सभी कुछ है तेरा दिया हुआ सभी राहतें सभी कुल्फ़तें

सब क़त्ल हो के तेरे मुक़ाबिल से आए हैं

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