पहचान
किसी भी मोड़ पे रुक कर जो पीछे देखा है
तो एक याद मिली आँसुओं में भीगी हुई
तो एक रात मिली सोगवार सहमी हुई
तो एक ख़्वाब मिला दर-ब-दर भटकता हुआ
और एक जिस्म मिला जिस के सर के बालों में
गुज़रते वक़्त ने लम्हों की राख डाली है
वो जिस्म मेरा नहीं है तो फिर वो किस का है
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