इम्कान
ये मुमकिन है
कि मैं तुम को न याद आऊँ
मगर ये भी तो मुमकिन है
उतर कर शब की सीढ़ी से
कोई बे-नाम परछाईं
हटा दे बर्फ़ यादों की
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ये मुमकिन है
कि मैं तुम को न याद आऊँ
मगर ये भी तो मुमकिन है
उतर कर शब की सीढ़ी से
कोई बे-नाम परछाईं
हटा दे बर्फ़ यादों की
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