Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_2c57b4fcd7fe25b83b0b51e6aedc0e23, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
हर शख़्स परेशान है घबराया हुआ है - फ़ैसल अजमी कविता - Darsaal

हर शख़्स परेशान है घबराया हुआ है

हर शख़्स परेशान है घबराया हुआ है

महताब बड़ी देर से गहनाया हुआ है

है कोई सख़ी इस की तरफ़ देखने वाला

ये हाथ बड़ी देर से फैलाया हुआ है

हिस्सा है किसी और का इस कार-ए-ज़ियाँ में

सरमाया किसी और का लगवाया हुआ है

साँपों में असा फेंक के अब महव-ए-दुआ हूँ

मालूम है दीमक ने उसे खाया हुआ है

दुनिया के बुझाने से बुझी है न बुझेगी

इस आग को तक़दीर ने दहकाया हुआ है

क्या धूप है जो अब्र के सीने से लगी है

सहरा भी उसे देख के शरमाया हुआ है

इसरार न कर मेरे ख़राबे से चला जा

मुझ पर किसी आसेब का दिल आया हुआ है

तू ख़्वाब-ए-दिगर है तिरी तदफ़ीन कहाँ हो

दिल में तो किसी और को दफ़नाया हुआ है

(1040) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Har ShaKHs Pareshan Hai Ghabraya Hua Hai In Hindi By Famous Poet Faisal Ajmi. Har ShaKHs Pareshan Hai Ghabraya Hua Hai is written by Faisal Ajmi. Complete Poem Har ShaKHs Pareshan Hai Ghabraya Hua Hai in Hindi by Faisal Ajmi. Download free Har ShaKHs Pareshan Hai Ghabraya Hua Hai Poem for Youth in PDF. Har ShaKHs Pareshan Hai Ghabraya Hua Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Har ShaKHs Pareshan Hai Ghabraya Hua Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.