फ़ैसल अजमी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का फ़ैसल अजमी
नाम | फ़ैसल अजमी |
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अंग्रेज़ी नाम | Faisal Ajmi |
जन्म की तारीख | 1951 |
जन्म स्थान | Pakistan |
उस को जाने दे अगर जाता है
टूटता है तो टूट जाने दो
तू ख़्वाब-ए-दिगर है तिरी तदफ़ीन कहाँ हो
शजर से बिछड़ा हुआ बर्ग-ए-ख़ुश्क हूँ 'फ़ैसल'
रोज़ आसेब आते जाते हैं
रात सितारों वाली थी और धूप भरा था दिन
मैं ज़ख़्म खा के गिरा था कि थाम उस ने लिया
मैं सो गया तो कोई नींद से उठा मुझ में
क्या इल्म कि रोते हों तो मर जाते हों 'फ़ैसल'
ख़ौफ़ ग़र्क़ाब हो गया 'फ़ैसल'
कभी देखा ही नहीं इस ने परेशाँ मुझ को
कभी भुलाया कभी याद कर लिया उस को
जिस्म थकता नहीं चलने से कि वहशत का सफ़र
हर्फ़ अपने ही मआनी की तरह होता है
'फ़ैसल' मुकालिमा था हवाओं का फूल से
चंद ख़ुशियों को बहम करने में
अदावतों में जो ख़ल्क़-ए-ख़ुदा लगी हुई है
अब वो तितली है न वो उम्र तआ'क़ुब वाली
आवाज़ दे रहा था कोई मुझ को ख़्वाब में
आज फिर आईना देखा है कई साल के बाद
ये भी नहीं कि दस्त-ए-दुआ तक नहीं गया
उस ने देखा जो मुझे आलम-ए-हैरानी में
उस को जाने दे अगर जाता है
तेरी आँखें न रहीं आईना-ख़ाना मिरे दोस्त
शामियानों की वज़ाहत तो नहीं की गई है
रख़्त-ए-सफ़र है इस में क़रीना भी चाहिए
मुझ को ये फ़िक्र कब है कि साया कहाँ गया
मैं ज़ख़्म खा के गिरा था कि थाम उस ने लिया
मैं ग़ार में था और हवा के बग़ैर था
किसी ने कैसे ख़ज़ाने में रख लिया है मुझे