पछतावा

ख़ुदा-ए-हर-दो-जहाँ ने जब आदमी को पहले-पहल सज़ा दी

बहिश्त से जब उसे निकाला

तो उस को बख़्शा गया ये साथी

ये ऐसा साथी है जो हमेशा ही आदमी के क़रीं रहा है

तमाम अदवार छान डालो

रिवायतों में हिकायतों में

अज़ल से तारीख़ कह रही है

कि आदमी की जबीं हमेशा नदामतों से अरक़ रही है

वो वक़्त जब से कि आदमी ने

ख़ुदा की जन्नत में शजर-ए-मम्नूआ चख लिया

और

सरकशी की

तभी से इस फल का ये कसीला ज़ाइक़ा

आदमी के काम-ओ-दहन में हिर-फिर के आ रहा है

मगर नदामत के तल्ख़ से ज़ाइक़े से पहले गुनाह की बे-पनाह लज़्ज़त

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Pachhtawa In Hindi By Famous Poet Fahmida Riaz. Pachhtawa is written by Fahmida Riaz. Complete Poem Pachhtawa in Hindi by Fahmida Riaz. Download free Pachhtawa Poem for Youth in PDF. Pachhtawa is a Poem on Inspiration for young students. Share Pachhtawa with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.