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अब सो जाओ - फ़हमीदा रियाज़ कविता - Darsaal

अब सो जाओ

अब सो जाओ

और अपने हाथ को मेरे हाथ में रहने दो

तुम चाँद से माथे वाले हो

और अच्छी क़िस्मत रखते हो

बच्चे की सौ भोली सूरत

अब तक ज़िद करने की आदत

कुछ खोई खोई सी बातें

कुछ सीने में चुभती यादें

अब इन्हें भुला दो सो जाओ

और अपने हाथ को मेरे हाथ में रहने दो

सो जाओ तुम शहज़ादे हो

और कितने ढेरों प्यारे हो

अच्छा तो कोई और भी थी

अच्छा फिर बात कहाँ निकली

कुछ और भी यादें बचपन की

कुछ अपने घर के आँगन की

सब बतला दो फिर सो जाओ

और अपने हाथ को मेरे हाथ में रहने दो

ये ठंडी साँस हवाओं की

ये झिलमिल करती ख़ामोशी

ये ढलती रात सितारों की

बीते न कभी तुम सो जाओ

और अपने हाथ को मेरे हाथ में रहने दो

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