Hope Poetry of Faheem Shanas Kazmi
नाम | फ़हीम शनास काज़मी |
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अंग्रेज़ी नाम | Faheem Shanas Kazmi |
उसी ने चाँद के पहलू में इक चराग़ रखा
तेरी गली के मोड़ पे पहुँचे थे जल्द हम
ज़िंदगी से मुकालिमा
सारबाँ
सब्र की चादर तह कर दी
राहदारी में गूँजती नज़्म
''ला'' भी है एक गुमाँ
ख़ुद-कुशी के पुल पर
देर हो गई
और ख़ुदा ख़ामोश था
समझ रहा था मैं ये दिन गुज़रने वाला नहीं
रस्ते में शाम हो गई क़िस्सा तमाम हो चुका
हम एक दिन निकल आए थे ख़्वाब से बाहर
दिल-ए-तबाह को अब तक नहीं यक़ीं आया
बर्ग-ए-सदा को लब से उड़े देर हो गई
बदन को ख़ाक किया और लहू को आब किया