Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_fb72954032c8c9e592d0dc1430aadff3, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
मुझे कौन बुलाता रहता है - फ़हीम शनास काज़मी कविता - Darsaal

मुझे कौन बुलाता रहता है

''मिरे पाँव के नीचे ख़ाक नहीं

किसी और ज़मीं की मिट्टी है''

मिरे हाथ में वक़्त की रासें हैं

जो पल पल फिसली जाती हैं

और हरे दरख़्तों की शाख़ें

मिरा रस्ता झाँकती रहती हैं

और सब्ज़ घनेरा जंगल है

मिरे पाँव के नीचे चाँद नहीं

इक और ही देस की मिट्टी है

और धूप का दरिया मौज में है

और दश्त मिरे क़दमों से लिपटा जाता है

मुझे कोई न कोई बुलाता है

मिरे पाँव भी मेरे पाँव नहीं

मिरा जिस्म नहीं मिरी जान नहीं

मिरी आँखों ने ग़द्दारी की

मिरे हाथ किसी ने काट दिए

मिरा दिल मुझे राह में छोड़ गया

अब धूप का दरिया मौज में है

और दूर कोई जंगल में है

(895) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Mujhe Kaun Bulata Rahta Hai In Hindi By Famous Poet Faheem Shanas Kazmi. Mujhe Kaun Bulata Rahta Hai is written by Faheem Shanas Kazmi. Complete Poem Mujhe Kaun Bulata Rahta Hai in Hindi by Faheem Shanas Kazmi. Download free Mujhe Kaun Bulata Rahta Hai Poem for Youth in PDF. Mujhe Kaun Bulata Rahta Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Mujhe Kaun Bulata Rahta Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.