Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_275a925d559a07e71fa5e8fff5895cb9, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
रस्ते में शाम हो गई क़िस्सा तमाम हो चुका - फ़हीम शनास काज़मी कविता - Darsaal

रस्ते में शाम हो गई क़िस्सा तमाम हो चुका

रस्ते में शाम हो गई क़िस्सा तमाम हो चुका

जो कुछ भी था ऐ ज़िंदगी वो तेरे नाम हो चुका

कब की गुज़र गई वो शब जिस में किसी का नूर था

कब की गली में धूप है जीना हराम हो चुका

फिरते रहें नगर नगर कूचा-ब-कूचा दर-ब-दर

अपने ख़ियाम जल चुके अपना सलाम हो चुका

रात में बाक़ी कुछ नहीं नींद में बाक़ी कुछ नहीं

अपना हर एक ख़्वाब तो नज़्र-ए-अवाम हो चुका

उस के लबों की गुफ़्तुगू करते रहे सुबू सुबू

यानी सुख़न हुए तमाम यानी कलाम हो चुका

इश्क़ गर ऐसा इश्क़ है आँखों से बहने दो लहू

ज़ीस्त गर ऐसी ज़ीस्त है अपना तो काम हो चुका

रस्ते तमाम हो गए उस की गली के आस-पास

यानी ख़िराम हो चुका यानी क़याम हो चुका

(780) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Raste Mein Sham Ho Gai Qissa Tamam Ho Chuka In Hindi By Famous Poet Faheem Shanas Kazmi. Raste Mein Sham Ho Gai Qissa Tamam Ho Chuka is written by Faheem Shanas Kazmi. Complete Poem Raste Mein Sham Ho Gai Qissa Tamam Ho Chuka in Hindi by Faheem Shanas Kazmi. Download free Raste Mein Sham Ho Gai Qissa Tamam Ho Chuka Poem for Youth in PDF. Raste Mein Sham Ho Gai Qissa Tamam Ho Chuka is a Poem on Inspiration for young students. Share Raste Mein Sham Ho Gai Qissa Tamam Ho Chuka with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.