न बात दिल की सुनूँ मैं न दिल सुने मेरी
ये सर्द जंग है अपने ही इक मुशीर के साथ
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Ahmad Faraz
Gulzar
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Mohsin Naqvi
Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
Habib Jalib
Rahat Indori
Allama Iqbal
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(913) Peoples Rate This
मिलन के ब'अद आती है जुदाई
जाएँगे एक रोज़ समुंदर की गोद में
शाम ख़ामोश है पेड़ों पे उजाला कम है
बंद कमरे में तिरा दर्द न बुझ जाए कहीं
हम अहल-ए-ग़म को हक़ारत से देखने वालो
कितने तूफ़ानों से हम उलझे तुझे मालूम क्या
तुम्हारी याद से ये रात कितनी रौशन है
तेरी यादें हो गईं जैसे मुक़द्दस आयतें
वाक़िफ़ कहाँ ज़माना हमारी उड़ान से
मरघट पथ पर देख के हम को जाने क्या क्या सोचें वो
दोस्ती में न दुश्मनी में हम