लफ़्ज़ का बस है तअ'ल्लुक़ मेरे तेरे दरमियाँ

लफ़्ज़ का बस है तअ'ल्लुक़ मेरे तेरे दरमियाँ

लफ़्ज़ के मअनी पे क़ाएम सारे रिश्तों का निशाँ

पहले चुप की गुफ़्तुगू उस की समझ में आती थी

भूल बैठी है कही और अन-कही दोनों ज़बाँ

लफ़्ज़ ख़ुद हम ने गढ़े इज़हार-ए-उल्फ़त के लिए

वस्ल की तकमील है मम्नून-ए-तश्कील-ए-लिसाँ

हो न गर उल्फ़त तो नफ़रत हो ज़रूरी तो नहीं

ये भी हो सकता है वो हो बे-नियाज़-ए-आशिक़ाँ

लब-कुशा हों या कि चुप हों देख कर उस की तरफ़

है 'फहीम' अपने क़बीले का समझता है ज़ियाँ

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Lafz Ka Bas Hai Talluq Mere Tere Darmiyan In Hindi By Famous Poet Faheem Aazmi. Lafz Ka Bas Hai Talluq Mere Tere Darmiyan is written by Faheem Aazmi. Complete Poem Lafz Ka Bas Hai Talluq Mere Tere Darmiyan in Hindi by Faheem Aazmi. Download free Lafz Ka Bas Hai Talluq Mere Tere Darmiyan Poem for Youth in PDF. Lafz Ka Bas Hai Talluq Mere Tere Darmiyan is a Poem on Inspiration for young students. Share Lafz Ka Bas Hai Talluq Mere Tere Darmiyan with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.