Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_f1340abf66b4aac075b46d1da0cc2348, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
मुस्तमिन्दाँ को सताया न करो - फ़ाएज़ देहलवी कविता - Darsaal

मुस्तमिन्दाँ को सताया न करो

मुस्तमिन्दाँ को सताया न करो

बात को हम से दुराया न करो

दिल शिकंजे में न डालो मेरा

ज़ुल्फ़ को गूँध बनाया न करो

हुस्न-ए-बे-साख़्ता भाता है मुझे

सुर्मा अँखियाँ में लगाया न करो

तुम से मुझ दिल को बहुत है उम्मीद

मुझ से मिस्कीं को कुढ़ाया न करो

बे-दिलाँ सूँ न फिरा दो मुखड़ा

हम से तुम आँख चुराया न करो

मुख़्लिस अपने को न मारो नाहक़

हक़्क़-ए-इख़्लास भुलाया न करो

इश्क़ में 'फ़ाएज़'-ए-शैदा मुम्ताज़

इस कूँ सब साथ मिलाया न करो

(867) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Mustamindan Ko Sataya Na Karo In Hindi By Famous Poet Faez Dehlvi. Mustamindan Ko Sataya Na Karo is written by Faez Dehlvi. Complete Poem Mustamindan Ko Sataya Na Karo in Hindi by Faez Dehlvi. Download free Mustamindan Ko Sataya Na Karo Poem for Youth in PDF. Mustamindan Ko Sataya Na Karo is a Poem on Inspiration for young students. Share Mustamindan Ko Sataya Na Karo with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.