Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_a7e3d8c8bd69756bce91714304442d8e, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
जागीर अगर बहुत न मिली हम कूँ ग़म नहीं - फ़ाएज़ देहलवी कविता - Darsaal

जागीर अगर बहुत न मिली हम कूँ ग़म नहीं

जागीर अगर बहुत न मिली हम कूँ ग़म नहीं

हासिल हमारे मुल्क-ए-क़नाअ'त का कम नहीं

इस साथ मह-रुख़ाँ को नहीं कुछ बराबरी

यूसुफ़ से ये निगार-ए-परी-ज़ाद कम नहीं

ख़ुश-सूरताँ से क्या करूँ मैं आश्नाई अब

मुझ को तो इन दिनों में मयस्सर दिरम नहीं

दिल बाँधते नहीं हैं हमारे मिलाप पर

मह-तलअताँ में मुझ को तो अब कुछ भरम नहीं

मिलते हो सब के जा के घर और हम सूँ हो कनार

कुछ हम तो उन चकोरों से ऐ माह कम नहीं

ज़ाहिर के दोस्त आते नहीं काम वक़्त पर

तलवार काट क्या करे जिस को जो दम नहीं

'फ़ाएज़' को भाया मिस्रा-ए-'यकरंग' ऐ सजन

गर तुम मिलोगे उन सेती देखोगे हम नहीं

(998) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Jagir Agar Bahut Na Mili Hum Kun Gham Nahin In Hindi By Famous Poet Faez Dehlvi. Jagir Agar Bahut Na Mili Hum Kun Gham Nahin is written by Faez Dehlvi. Complete Poem Jagir Agar Bahut Na Mili Hum Kun Gham Nahin in Hindi by Faez Dehlvi. Download free Jagir Agar Bahut Na Mili Hum Kun Gham Nahin Poem for Youth in PDF. Jagir Agar Bahut Na Mili Hum Kun Gham Nahin is a Poem on Inspiration for young students. Share Jagir Agar Bahut Na Mili Hum Kun Gham Nahin with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.