Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_5aa4c7837a5ab25e94bff9265f38d10a, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
जब सजीले ख़िराम करते हैं - फ़ाएज़ देहलवी कविता - Darsaal

जब सजीले ख़िराम करते हैं

जब सजीले ख़िराम करते हैं

हर तरफ़ क़त्ल-ए-आम करते हैं

मुख दिखा छब बना लिबास सँवार

आशिक़ों को ग़ुलाम करते हैं

ये चकोरे मिल उस सिरीजन सूँ

रात दिन अपना काम करते हैं

यार को आशिक़ान-ए-साहब-फ़न

एक देखे में राम करते हैं

गर्दिश-ए-चश्म सूँ सिरीजन सब

बज़्म में कार-ए-जाम करते हैं

ये नहीं नेक तौर ख़ूबाँ के

आश्नाई को आम करते हैं

जी को करते हैं आशिक़ाँ तस्लीम

जब वो हँस कर सलाम करते हैं

मुर्ग़-ए-दिल के शिकार करने कूँ

ज़ुल्फ़ ओ काकुल को दाम करते हैं

शोख़ मेरा बुताँ में जब जावे

उस को अपना इमाम करते हैं

ख़ूब-रू आश्ना हैं 'फ़ाएज़' के

मिल सबी राम राम करते हैं

(1003) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Jab Sajile KHiram Karte Hain In Hindi By Famous Poet Faez Dehlvi. Jab Sajile KHiram Karte Hain is written by Faez Dehlvi. Complete Poem Jab Sajile KHiram Karte Hain in Hindi by Faez Dehlvi. Download free Jab Sajile KHiram Karte Hain Poem for Youth in PDF. Jab Sajile KHiram Karte Hain is a Poem on Inspiration for young students. Share Jab Sajile KHiram Karte Hain with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.