जान-ए-अय्याम-ए-दिलबरी है याद
जान-ए-अय्याम-ए-दिलबरी है याद
सैर-ए-गुल-ज़ार-ओ-मय-ख़ोरी है याद
देखता नहिं सुरज कूँ नज़राँ भर
जिस कूँ तुझ जामा-ए-ज़री है याद
ख़ूब फूली थी बाग़ में नर्गिस
गुल-ए-सद-बर्ग-ओ-जाफ़री है याद
वो चराग़ाँ ओ चाँदनी की रात
सैर-ए-हत-फूल ओ फुलझड़ी है याद
वो तमाशा ओ खेल होली का
सब के तन रख़्त-ए-केसरी है याद
हो दिवाना जंगल में क्यूँ न फिरे
जिस को वो साया-ए-परी है याद
ऐ सियह मस्त मेरी अँखियों की
लाल बादल की तुझ झुरी है याद
जब तुमन पास 'फ़ाएज़' आया था
बात कहना बी सरसरी है याद
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