फ़ाएज़ देहलवी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का फ़ाएज़ देहलवी
नाम | फ़ाएज़ देहलवी |
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अंग्रेज़ी नाम | Faez Dehlvi |
जन्म की तारीख | 1690 |
मौत की तिथि | 1737 |
जन्म स्थान | Delhi |
होली
वो तमाशा ओ खेल होली का
तुझ बदन पर जो लाल सारी है
तेरे मिलाप बिन नहीं 'फ़ाएज़' के दिल को चैन
मुँह बाँध कर कली सा न रह मेरे पास तू
मुझ को औरों से कुछ नहीं है काम
मैं गिरफ़्तार हूँ तिरे मुख पर
ख़ूब-रू आश्ना हैं 'फ़ाएज़' के
ख़ाक सेती सजन उठा के किया
जब सजीले ख़िराम करते हैं
हुस्न बे-साख़्ता भाता है मुझे
गुड़ से मीठा है बोसा तुझ लब का
गड़ सीं मीठा है बोसा तुझ लब का
यार मेरा मियान-ए-गुलशन है
तुझ बिना दिल को बे-क़रारी है
तुझ बदन पर जो लाल सारी है
सजन मुझ पर बहुत ना-मेहरबाँ है
मुस्तमिन्दाँ को सताया न करो
मुझ पास कभी वो क़द-ए-शमशाद न आया
ख़ूबाँ के बीच जानाँ मुम्ताज़ है सरापा
जागीर अगर बहुत न मिली हम कूँ ग़म नहीं
जब सजीले ख़िराम करते हैं
जान-ए-अय्याम-ए-दिलबरी है याद
हर आश्ना से उस बिन बेगाना हो रहा हूँ
गुल तिरे मुख की फ़िक्र में बीमार
एक पल जा न कहूँ नैन सूँ ऐ नूर-ए-बसर
धूप सा यू कपूल नारी है
बे-सबब हम से जुदाई न करो
ऐ यार नसीहत को अगर गोश करे तू
ऐ सजन वक़्त-ए-जाँ-गुदाज़ी है