Love Poetry of Ezaz Afzal
नाम | एज़ाज़ अफ़ज़ल |
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अंग्रेज़ी नाम | Ezaz Afzal |
ये शहर ये ख़्वाबों का समुंदर न बचेगा
उजाला कैसा उजाले का ख़्वाब ला न सके
सरहद-ए-जल्वा से जो आगे निकल जाएगी
सलीक़ा इतना तो ऐ शौक़-ए-ख़ुश-कलाम आए
नद्दी नद्दी रन पड़ते हैं जब से नाव उतारी है
लहू ने क्या तिरे ख़ंजर को दिलकशी दी है
ख़्वाबों के सनम-ख़ाने जब ढाए गए होंगे
जाम खनके तो सँभाला न गया दिल तुम से
दिलों के बीच बदन की फ़सील उठा दी जाए
दर्स-ए-आराम मेरे ज़ौक़-ए-सफ़र ने न दिया
चलो कुछ तो राह तय हो न चले तो भूल होगी
आँगन आँगन ख़ाना-ख़राबी हँसती है मे'मारों पर
आज दिल है कि सर-ए-शाम बुझा लगता है