Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_36aff2de76c578cd6edc1bbf281c75cd, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
दिलों के बीच बदन की फ़सील उठा दी जाए - एज़ाज़ अफ़ज़ल कविता - Darsaal

दिलों के बीच बदन की फ़सील उठा दी जाए

दिलों के बीच बदन की फ़सील उठा दी जाए

सिमट रही है मसाफ़त ज़रा बढ़ा दी जाए

हमारी सम्त कभी ज़हमत-ए-सफ़र तो करो

तुम्हारी राह में भी कहकशाँ बिछा दी जाए

बनी तो होगी कहीं सरहद-ए-गराँ-गोशी

तुम्हीं बताओ कहाँ से तुम्हें सदा दी जाए

किसी के काम तो आए ख़ुलूस की ख़ुशबू

मिज़ाज में न सही जिस्म में बसा दी जाए

ये सोचते नहीं क्यूँ फ़ासले तवील हुए

ये पूछते हैं कि रफ़्तार क्यूँ बढ़ा दी जाए

ये महवियत न कहीं तुझ से फेर दे सब को

तिरी तरफ़ से तवज्जोह ज़रा हटा दी जाए

तकल्लुफ़ात की पुर-पेच वादियाँ कब तक

ब-राह-ए-रास्त उन्हें दावत-ए-वफ़ा दी जाए

सुनी हैं हम ने बहुत तीरगी पे तक़रीरें

मिले न लफ़्ज़ अगर रौशनी बुझा दी जाए

गुज़रने वाली हवा ख़ुद पता लगा लेगी

ज़रा सी आग किसी राख में दबा दी जाए

(987) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Dilon Ke Beach Badan Ki Fasil UTha Di Jae In Hindi By Famous Poet Ezaz Afzal. Dilon Ke Beach Badan Ki Fasil UTha Di Jae is written by Ezaz Afzal. Complete Poem Dilon Ke Beach Badan Ki Fasil UTha Di Jae in Hindi by Ezaz Afzal. Download free Dilon Ke Beach Badan Ki Fasil UTha Di Jae Poem for Youth in PDF. Dilon Ke Beach Badan Ki Fasil UTha Di Jae is a Poem on Inspiration for young students. Share Dilon Ke Beach Badan Ki Fasil UTha Di Jae with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.