हिफ़ाज़त
मैं उस सिगरेट का टुकड़ा हूँ
जिसे तुम ने पिया था अपनी ख़ुशी के लिए
और अब अपने जूते से
मसल देना चाहते हो
ताकि उस की चिंगारी आग न लगा दे
तुम्हारे लकड़ी-नुमा वजूद को
महफ़ूज़ रहने की तुम्हारी ख़्वाहिश
तुम्हारे जज़्बात को सुन कर देती है
किसी दूसरे की तड़प
तुम पर कोई असर नहीं करती
सिगरेट के बचे टुकड़े को
आसानी से फेंक सकते हो
मगर इस धुएँ का क्या करोगे
जो तुम्हारे दिल में भर गया है
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