याद उन की दिल में आई वो आसूदगी लिए
याद उन की दिल में आई वो आसूदगी लिए
ज़ुल्मत में आए जैसे कोई रौशनी लिए
ऐ सई-ए-ज़ब्त लोगों को क्या दूँ सुबूत-ए-ग़म
डर से हँसी के मैं ने तो आँसू भी पी लिए
ज़िद्दैन-ए-कैफ़ियात को हम ने सुला दिया
जीते रहे ख़ुशी से ग़म-ए-आशिक़ी लिए
ऐ संग-ए-आस्ताँ मिरे सज्दों की लाज रख
आया हूँ ए'तिराफ़-ए-शिकस्त-ए-ख़ुदी लिए
'एजाज़' कोई चारा-गर-ए-ग़म न मिल सका
फिरता रहा हूँ दहर में दिल की लगी लिए
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