सहर होते ही कोई हो गया रुख़्सत गले मिल कर
सहर होते ही कोई हो गया रुख़्सत गले मिल कर
फ़साने रात के कहती रही टूटी हुई चूड़ी
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सहर होते ही कोई हो गया रुख़्सत गले मिल कर
फ़साने रात के कहती रही टूटी हुई चूड़ी
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