कोई हो चेहरा शनासा दिखाई देता है
कोई हो चेहरा शनासा दिखाई देता है
हर इक में एक ही मुखड़ा दिखाई देता है
उसी शजर पे शफ़क़ का करम है शायद आज
वो इक शजर जो सुनहरा दिखाई देता है
उधर वो देखो कि आकाश कितना दिलकश है
जहाँ वो धरती से मिलता दिखाई देता है
दिखाएँ तुम को ग़ुरूब आफ़्ताब का मंज़र
यहाँ उफ़ुक़ का किनारा दिखाई देता है
वही तो है जो मिरी जुस्तुजू की मंज़िल है
कोई भी शख़्स जो मुझ सा दिखाई देता है
(947) Peoples Rate This