आवागवन
वापसी
वापसी
शिकस्ता
बूढ़े शहर
तेरी गलियाँ न जाने कब से
उखड़े हुए साँसों की तरह
बाहम उलझती रही हैं
मिट्टी
और फ़ौलाद
और लकड़ी के शहर
में मुक़द्दर की मिसाल
एक बार फिर पलट आया हूँ
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वापसी
वापसी
शिकस्ता
बूढ़े शहर
तेरी गलियाँ न जाने कब से
उखड़े हुए साँसों की तरह
बाहम उलझती रही हैं
मिट्टी
और फ़ौलाद
और लकड़ी के शहर
में मुक़द्दर की मिसाल
एक बार फिर पलट आया हूँ
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