छोटे क़द के लोग
बुलंद बाँग दा'वों की
आवाज़ें
खोटे सिक्कों की तरह
बजती हैं
फिर भी छोटे क़द के लोग
इन क़द-आवर आवाज़ों को
सुनते रहते हैं
काग़ज़ के टुकड़ों की
अब कोई क़ीमत न रही
फिर भी भूकी आँखें
उन्हें ढूँढती हैं
और नाकाम रहती हैं
और बे-रहम हाथ
उन्हें जम्अ' करते रहते हैं
छोटे क़द के लोग
अपनी आवाज़ खो चुके हैं
वो सिर्फ़ देख सकते हैं
और सुन सकते हैं
(1330) Peoples Rate This