देखते ही धड़कनें सारी परेशाँ हो गईं
देखते ही धड़कनें सारी परेशाँ हो गईं
तेरी आँखें ऐ सितमगर आफ़त-ए-जाँ हो गईं
आ गया पलकों पे अश्कों के पतंगों का हुजूम
जब किसी की याद की शमएँ फ़रोज़ाँ हो गईं
फिर मिरी तस्बीह के दाने बिखर कर रह गए
फिर दुआएँ आज उन के दर की मेहमाँ हो गईं
उन के हर इक लम्स का ऐसा असर मुझ पर हुआ
दिल की दीवारें सभी शहर-ए-निगाराँ हो गईं
ये शब-ए-तन्हाई 'सादिक़' मुझ को डस लेती मगर
शुक्र है यादें दर-ए-दिल की निगहबाँ हो गईं
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