ज़ख़्मों को मेरे दिल के सजाओ तो बने बात
ज़ख़्मों को मेरे दिल के सजाओ तो बने बात
ये काम हमें कर के दिखाओ तो बने बात
क्यूँ बहर-ए-तमन्ना में नहीं कोई भी हलचल
तूफ़ान कोई उस में जगाओ तो बने बात
जीने के लिए उन का तसव्वुर भी बहुत है
बे-आस हमें जी के बताओ तो बने बात
जलने को तो यूँ ख़ून भी जल जाएगा लेकिन
पानी में ज़रा आग लगाओ तो बने बात
दुनिया में तलब ही का तमाशा तो लगा है
मंसूर हमें बन के दिखाओ तो बने बात
गिरती हुई दीवार का साया न बताओ
फिर से नई दीवार उठाओ तो बने बात
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