हौज़ में गिर पड़ा गुलाब का फूल
पास लाने से दूर जाता है
जैसे मुद्दत में मिलने वाले का
नाम मुश्किल से याद आता है
Javed Akhtar
Anwar Masood
Ahmad Faraz
Parveen Shakir
Rahat Indori
Allama Iqbal
Gulzar
Jaun Eliya
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
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जब रुख़-ए-हुस्न से नक़ाब उठा
कल रात कुछ अजीब समाँ ग़म-कदे में था
बैठे बैठे उन की महफ़िल याद आ जाती है जब
मौसम से रंग-ओ-बू हैं ख़फ़ा देखते चलो
रो रहा था गोद में अम्माँ की इक तिफ़्ल-ए-हसीं
आसमाँ पर हैं ख़िरामाँ अब्र-पारों के हुजूम
मरने वाले फ़ना भी पर्दा है
कुछ लोग जो सवार हैं काग़ज़ की नाव पर
आया नहीं है राह पे चर्ख़-ए-कुहन अभी
न जाने मोहब्बत का अंजाम क्या है
सता लो मुझे ज़िंदगी में सता लो
लोग यूँ देख के हँस देते हैं