वफ़ा का अहद था दिल को सँभालने के लिए
वो हँस पड़े मुझे मुश्किल में डालने के लिए
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मुफ़्लिसी और इस में घर पर हम-नशीनों का हुजूम
मरने वाले फ़ना भी पर्दा है
रंग-ए-तहज़ीब-ओ-तमद्दुन के शनासा हम भी हैं
शाम और रस्ते में रेवड़ के गुज़रने से ग़ुबार
जब भी ख़ल्वत में वो याद आएगा
कुछ अपने साज़-ए-नफ़स की न क़द्र की तू ने
और कुछ देर सितारो ठहरो
फ़ुसून-ए-शेर से हम उस मह-ए-गुरेज़ाँ को
न जाने मोहब्बत का अंजाम क्या है
दमक रहा है जो नस नस की तिश्नगी से बदन
यास में बेदारी-ए-एहसास का आलम न पूछ
गर्मियाँ हब्स रात तारीकी